चंचल ,सुशील मधुर रस हाला शीतल पवन आ रही हो चढ़ जाए ,बिन पिये प्याला न सोचूं तो भी खिल चंचल ,सुशील मधुर रस हाला शीतल पवन आ रही हो चढ़ जाए ,बिन पिये प्याला न सो...
साथ मेरे सारे मौसम चले गए ! साथ मेरे सारे मौसम चले गए !
ये माथे को ही पता है ये कैसे चमक छा गयी। ये माथे को ही पता है ये कैसे चमक छा गयी।
निस्वार्थ प्रेम का पाठ पढ़ाते सूरजमुखी के फूल बड़े प्यारे। निस्वार्थ प्रेम का पाठ पढ़ाते सूरजमुखी के फूल बड़े प्यारे।
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...